जब नीम करौली बाबा ने एप्पल और Facebook को डूबने से बचाया था, मार्क जकरबर्ग ने खुद बताया




Apple और Google आज  दुनिया की दो सबसे बड़ी कंपनी हैं इसमें कोई भी संदेह नहीं है ,आज दुनिया का हर एक व्यक्ति एप्पल के फोन ,एप्पल के लैपटॉप, एप्पल का वॉच खरीदना चाहता है ,और हर एक इंजीनियरिंग करने वाले बच्चे का सपना  होता है कि उसका जॉब गूगल में लगे इस टेक्नोलॉजी के क्रांतिकारी दुनिया में ये दो कंपनिया बहुत आगे निकल चुके हैं।

सुरुवात भारत से हुई।
ऐसा माना जाता है कि जब भी स्टार्टिंग में स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी को फाउंड किया तो उन्हें कुछ सही नहीं लग रहा था और उनकी कंपनी कुछ खास ग्रुप ही नहीं कर रही थी मैं आगे का कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया जा रहा था तब किसी ने सलाह दिया नीम करोली बाबा के पास जाने का और वह उनके पास गए जिसके बाद से उनकी कंपनी अच्छी खासी ग्रो होने लगी।


फेसबुक को भी दी सलाह।

अपने एक इंटरव्यू में  फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग नरेंद्र मोदी से बातचीत करते हैं उसमें वह बताते हैं कि एक बार हमारी कंपनी बहुत घाटे में चल रही थी बहुत से लोग फेसबुक को खरीदना चाह रहे थे ,और हम लोग फेसबुक को बेचना चाह रहे थे उसके बाद फिर मैं अपने मेंटर के पास गया जो कि स्टीव जॉब्स थे उन्होंने मुझे बताया कि कभी भी जिंदगी में हताशा लगे, निराशा लगे,और कुछ समझ में ना आए कि आगे क्या करना है तो भारत में जाना नैनीताल में 1 कैंची धाम आश्रम है जहां पर नीम करोली बाबा रहते हैं, और उसके बाद स्टीव जॉब्स अपनी कंपनी को बचाने के लिए उस मंदिर में जाते हैं वहां जाने के बाद उनकी कंपनी का भविष्य चेंज ही हो जाता है और आज फेसबुक पूरी दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन चुका है इस बात में कोई संदेह नहीं है।

नीम करौली बाबा की कहनी।
नीम करोली बाबा की एक और कहानी बहुत अधिक प्रसिद्ध है ऐसा सुनने में आता है कि एक बार नीम करौली में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं था और वहां के लोगों को मिलो कोसों दूर पैदल चलकर जाना पड़ता था उसके बाद फिर उन्हें स्टेशन मिलता था जिससे नीम करोली बाबा बहुत परेशान थे, वह एक बार ट्रेन में बैठकर कही जाने लगे उनके पास टिकट नहीं था तो टीटी ने उन्हें नीचे उतार दिया उसके बाद नीम करोली बाबा की शक्ति से ट्रेन वहां से हिली ही नहीं, फिर उस गांव के लोगों ने बताया कि बाबा के बिना ट्रेन नहीं हिल सकती है, फिर टीटी ने बाबा को ट्रेन में चढ़ाया जिसके बाद ट्रेन चलने लगी और उसी के बाद से बाबा ने कुछ शर्ते रखी कि नीम करोल में एक रेलवे स्टेशन होना चाहिए और फिर उस जगह पर स्टेशन बना दिया गया और तभी से उन बाबा को नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाने लगा नीम करोली उस स्थान का नाम है जहां पर उनका मंदिर है उनका असली नाम क्या है या तो अभी भी कोई भी नहीं जानता।

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