8 नवंबर 2016 को भाजपा की सरकार के द्वारा 500 और 1000 के नोट को बैन कर दिया गया था मतलब उसके बाद से 500 और 1000 के नोटों की वैल्यू को खत्म कर दिया गया था जिसके बाद देश में कितना हंगामा हुआ था, देश में कितने लोग सड़क पर आ गए थे ,कितने लोग बेरोजगार हो गए थे, कितने दिनों तक हमें लाइन में खड़े होकर बैंक से पैसे बदलावा रहे थे इन सब से तो आप लोग वाकिब होंगे।
इसके साथ-साथ भारत की इकोनामी का काफी नुकसान हुआ था कुछ दिनों तक भारत की अर्थव्यवस्था काफी हद तक गिर गई थी कई लोग बेरोजगार हो गए थे ,कई कंपनियां बंद भी हो गई थी और इसके साथ-साथ कई काले धन भी वापस आए थे भाजपा की सरकार के द्वारा यह कहा गया था कि 50 दिन के बाद अर्थव्यवस्था काफी सुधर जाएगी और सब कुछ सही हो जाएगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था पूरी अर्थव्यवस्था को सही होते होते तकरीबन साल भर लग गए थे हालांकि काला धन तो बरामद हुआ था।
जिसके बाद सारे नोट को बदल दिया गया।
केवल 500 और 1000 के नोटों को बैन कर दिया गया था जिसके बाद 500 के नए नोट को निकाला गया था और 1000 के नोट के बजाय 2000 के नोट चलाए गए थे और फिर धीरे-धीरे 100 ,50, 20 ,10 के नोटों को भी बदल, हालांकि इन छोटे-मोटे बदलाव से कुछ नुकसान तो नहीं हुआ था लेकिन सरकार ने जैसा सोचा था कि 2000 के नए नोट निकालने से व्यापार करने में काफी आसानी होगी पर इसका उल्टा ही हो रहा था 2000 के नोट होने से लोग और काला धन को इकट्ठा कर पा रहे थे।
नही चलेंगे 2000 के नोट।
लेकिन इस वक्त सबसे बड़ी खबर यह आ रही है कि मोदी सरकार ने फिर से एक बार 2000 के नए नोट को बैन कर दिया है काफी दिनों से 2000 के नए नोट मार्केट में दिखाई नहीं दे रहे थे बहुत कम ही लोग थे जिनके पास 2000 के नए नोट थे काफी दिनों से संदेह हो रहा था कि शायद से दो हजार के नोटों को बंद कर दिया गया है और वैसा ही हुआ आज 19 मई 2023 को तकरीबन 7:00 बजे मोदी सरकार ने एक बार फिर से 2000की नोट को बैन कर दिया गया है।
23 मई से बदला सकते हैं।
इसके इसके साथ-साथ सरकार ने यह भी कहा है कि 23 मई 2023 के बाद से सितंबर तक आप 2000की नोट को बैंक में जाकर बदलवा सकते हैं उसके बाद से आप इस नोट को नहीं बदला सकेंगे और जिसके पास 2000की नोट पाई जाएगी उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही किया जा सकता है, यदि आपके पास 2000की नोट है तो आप अपने नजदीकी बैंक में 23 मई से बदलवा सकते हैं।
नुकसान या फायदा।
देखिए कभी भी इस तरह का निर्णय देश के हित में तो नहीं जाता है लेकिन इससे कई फायदे जरूर होंगे 2000 की नई नोट को मार्केट में लाने से काला धन और तेजी से इकट्ठा हो रहा था जहां हमें 10000 इकट्ठा करने के लिए हजार की 10 नोटे लगती थी वही 2000 की केवल पांच मोटे लगती हैं तो ऐसे में लोग ज्यादा से ज्यादा कारणों को अपने घर में इकट्ठा कर लेते थे तो अब इससे बचा जा सकता है हालांकि अचानक से देश की अर्थव्यवस्था में फिर से थोड़ा सा गड़बड़ी होगी लेकिन उम्मीद है कि सरकारी से संभाल लेगी।
वास्तव में, भारत ने पहली बार 1946 में उच्च मूल्य के नोटों का विमुद्रीकरण किया था।
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